Aqaid E Ahle Sunnat By Mushtaq Nizami Free ebook download

Aqaid E Ahle Sunnat By Mushtaq Nizami Free ebook download

 

Aqaid E Ahle Sunnat By Mushtaq Nizami Free ebook download
Aqaid E Ahle Sunnat By Mushtaq Nizami Free ebook download

 

Small size file – (File Size: 7 MB)
High quality file – (File Size: 38.89 MB)
High quality file – (File Size: 55.32 MB)

 

 

Tareekh-e-Sadat-e-Amroha Urdu PDF Book

Seerat e Aaisha Urdu PDF Book

Majmua Wazaif With Dalail Ul Khairat – Free ebook download PDF

Azdawaji Zindgi Ke Shari Ahkam PDF Urdu Book

Islami Ibadat Aur Jadeed Science Urdu Islamic Book

Wahabiyon Ki Murwajjan Janaza Sabit Nahi Free download PDF

Aurad e Naqshbandia PDF Free Download

Rahat Kis Tarah Hasil Ho book in Urdu free download pdf

islah ul buyut pdf download

Naat Saughat pdf book download

The History Of The Mohammedan Dynasties In Spain PDF Book Download

Yadgar-e-Shibli PDF Book Download

Akhbar Ul Akhyar Urdu Complete Pdf Download

Nashar-ul-Mahasin Urdu PDF Book

Lataif e Asharafi urdu book

Rozgar-e-Faqeer Urdu PDF Book

Ashraf Ul Naqabat Urdu Pdf Book

Sufinama Urdu PDF Book

Tahlil Kashf-ul-Mahjoob Urdu PDF Book

Qadam e Shaykh Abdul Qadir Jilani Urdu Pdf Free Download

Saudi Tafseer Par Aik Nazar Free download PDF

Hazrat Syedna Ala Hazrat Ahmed Raza Khan Barelvi Best Urdu Books

Persian Poets of Sindh Urdu PDF Book

AL SAFINA TUL QADRIA Urdu PDF Book

Syedna Hazrat Bilal Free download PDF

Aqaid o Arkan Urdu PDF Book

Mardan E Arab Complete Best Urdu Books

Gustahoon Ka Bura Anjam Urdu PDF Book

bahishti zewar pdf free download

ashraf ul noori sharah urdu qudoori book pdf download

jahan-e-naat pdf download

maqamat e masumiyat pdf free download

Kulyat-e-Zahoori Islamic Book ~ Free Download Books

Tafseer e Masnavi Manwi Urdu PDF Book

Allah Meri Tauba By Allama Alam Faqri Pdf

Sila e Rehmi Urdu PDF Book

Tafseer Ibn-e-Abbas PDF Book

Tazkira Zafran Zar Kashmir Urdu PDF Book

Studies in Indo-Muslim History pdf book download

Haqooq ul Ibad Aur Unki Ahmiyat urdu free download pdf

Yanbu al-asrar fi nasayih al-abrar PDF Book Download

Fazail ul ayam washshuhoor Urdu PDF Book

Risala Siyar-ul-Aqtab Urdu PDF Book

Ahle zikar ka bayan Az rohay Quran Urdu PDF Book

Hazrat Shah Daula Daryai Gujarati Urdu Islamic Book

rohani amliyat books pdf free download

aurton ke masail in urdu pdf book

Muslim Saints and Mystics Urdu PDF Book

Bahar e Shariat (20 Parts) Online Reading & Download PDF

Haq Par Kon Urdu PDF Book

allah ke wali book pdf free download

Mukhtasar Sahih Bukhari urdu pdf download

Miqyas ul Hanafiyyah Best Urdu Books

Deewaan e Hujjat ul Isam – PDF Book Download

Monus-u-Zakireen Urdu PDF Book

kleed e tawheed pdf Urdu Islamic Book

hayat un nabi book pdf download

saif e chishtiyai book free download

Taraiq-ul-haqaiq Urdu PDF Book

Aql o Hamaqat Ma Tazkirat Ul Ghafileen Urdu Islamic Book

Ruayaa-e-Sadiqa Urdu PDF Book

Gheebat Kya Hai urdu free download pdf

 

 

 

बैतूल मुकद्दस के अंदर ऐसा क्या था?

जिसकी वजह से यहूदी ,ईसाई और मुसलमान इस जगह को मुक़द्दस मानते है 🕌

किब्ला क्या है ?

सबसे पहले ये जानिए 💚____

हज़रत आदम अलैहिस्सलाम से लेकर हजरत मूसा अलैहिस्सलाम तक नमाज (इबादत) पढ़ते वक़्त चेहरे का रुख यानि क़िब्ला क़ाबा शरीफ़ की तरफ़ रहा। 🕋pउसके बाद हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से लेकर प्यारे नबी सल्लेल्लाहो अल्लेही व सल्लम (17माह) तक क़िब्ला बैतूलमुकद्दस रहा*।

यानि बैतूल मुक़द्दस भी क़िब्ला था।

ये इबादतगाह (पुराना क़िब्ला) दरअसल एक मुक़द्दस चट्टान है। ❤️

हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम चाहते थे यहाँ एक आलीशान इबादतगाह बने ।

उनके ख्वाब को साकार करने के लिए उनके बेटे सैयदना सुलैमान अलैहिस्सलाम ने उस चट्टान के ऊपर एक इबादतगाह (हैकल) बनवाई।

जिसे हैकल-ऐ-सुलेमानी कहते है। 🕌

यही बैतूल मुकद्दस है जिसका अर्थ है- पवित्र घर ।

बैतूल मुक़द्दस (यरूशलम) और बैतुल्लाह (मक्का) दोनों अल्लाह के घर हैं।
दोनों के मायने क्रमशःपवित्र घर और अल्लाह का घर हैं।

सोचिए कितनी अज़ीम निशानी है

बैतूल मुक़द्दस।

जब हजरत सुलैमान अलैहिस्सलाम बैतूल मुक़द्दस तामीर करवा रहे थे

उसी दरमियाँ उन की वफात हो गई।

तामीर के बाद यहूदियों ने ‘ताबुते सकीना’ उसमें रख दिया।
सारे यहूदी बैतूल मुक़द्दस में रखे ताबुते सकीना की ज़ानिब मुँह करके नमाज/इबादत करने लगे। 🕌

इस तरह ये यहूदियों की मुक़द्दस जगह बन गया।

अब जानिए क्या है ?
ताबूत-ऐ-सकीना 🤔_______
ताबूत यानि संदूक और सकीना मतलब जिससे सुकून मिले।
इस मुबारक संदूक से यहूदियों को बहुत-से फैज़ हासिल होते थे। जैसे जेहाद पर जाते वक्त दुश्मनों की तादाद देखकर जब यहूदी ख़ौफ़ज़दा होने लगते और डर के मारे सबके पसीने छूटने लगते । यहाँ तक कि उनकी हालत दुम दबाकर भागने की हो जाती।
तब वो नारे लगाकर इस संदूक को सबसे आगे रख देते। 🕌

अल्लाह अज्जओजल इस संदूक की बरक़त से यहूदियों की मदद करने के लिए आसमान से फरिश्तों की फ़ौज भेज देते।
आसमान में ‘ ईजा ज-आ नसुरुल्लाही – वल फ़तहूँ क़रीब ‘ की सदाएं गूंजने लगती।
चारों ज़ानिब रूहानी माहौल हो जाता।

आयात का विर्द सुनकर और इस ताबूत की बरक़त से डरपोक यहूदियों के दिल मजबूत हो जाते उनके ज़िस्म में रूहानी ताक़त आ जाती।

जिससे उन्हें सुकून हासिल होता इसलिए इस संदूक यानि ताबूत को ‘ताबुते सकीना’ कहा जाने लगा ।

ताबूत-ऐ-सकीना में क्या रखा था?_______
ये शमशाद की लकड़ी का बना हुआ एक संदूक था

जिसकी लम्बाई चौड़ाई तकरीबन 40 बाय 40 फीट थी |

ये मुक़द्दस संदूक हजरत आदम अलैहिस्सलाम पर नाज़िल हुआ था।
इसमें आने वाले तमाम अम्बियाओं (नबियों) के हुलिए मुबारक (तस्वीर) थे

जैसे प्यारे नबी सल्लेल्लाहो अल्लेही व सल्लम का हुलिया मुबारक़ भी इसमें महफूज़ था |
हजरत आदम अलैहिस्सलाम का आसा (लाठी) जिसे वो जन्नत से लाये
वो भी इसी में रखा हुआ था |
ये आख़िर तक आपके पास ही रहा |

बतौर मिराज ये एक के बाद एक आपकी औलादों को मिलता रहा | हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम से होता हुआ उनके बेटे मदयन फिर उनके वंशज हजरत शुऐब अलैहिस्सलाम तक पहुंचा।

हजरत शुऐब अलैहिस्सलाम ने ये आसा बकरियाँ चराते वक़्त हजरत मूसा अलैहिस्सलाम के हवाले कर दिया

जो उनके दामाद थे।

बाद में ये ताबूत भी हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को मिला।

मूसा अलैहिस्सलाम के बाद उनका आसा (लाठी) भी संदूक में रख दिया गया।

दूसरी तरफ ये ताबुते सकीना हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की दूसरी औलाद हजरत इसहाक अलैहिस्सलाम से उनके बेटे हजरत याकूब अलैहिस्सलाम को मिला | 🕋

हजरत याकूब अलैहिस्सलाम के पास हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम का जन्नती कुर्ता और अपने वालिद हजरत इश्हाक़ अलैहिस्सलाम का कमरबंद (बेल्ट) भी था | इस तरह ये सभी निशानियां इसमें जमा होती रही।

हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम हजरत मदयन के बेटे थे

जो हजरत इब्राहीमअलैहिस्सलाम की औलाद थे ।

उनके बाद ये ताबूत हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम के दामाद हजरत मूसा अलैहिस्सलाम को मिल गया |

मूसा अलैहिस्सलाम इसमें तौरात शरीफ के नुस्खे और अपना खास-ख़ास सामान रखने लगे |

चूंकि ताबूत बहुत बड़ा और शमशाद की लकड़ी का बना हुआ था अल्लाह अज्जओजल की क़ुदरत से हज़ारों बरस सही सलामत रहा।

ना सड़ा-ना गला।

इसमें आपकी लानेल मुबारक और बड़े भाई हजरत हारून अलैहिस्सलाम और हजरत युसूफ अलैहिस्सलाम का अमामा शरीफ भी रखा था |

आसमान से उतरने वाला खाना मन-ओ-सलवा भी बतौर तबर्रूक एक बर्तन में महफूज़ था |

सुब्हान अल्लाह !!!

ये बड़ा ही मुक़द्दस और बा-बरकत वाला संदूक था |

इस ताबूत का जिक्र कुरआन शरीफ में पारा नंबर 2 (सय्कुल) आयात नंबर 248 , रुकू नं0 16 पर है |

बनी इस्राइल में जब भी कोई मसला पैदा होता तो लोग इस संदूक से फैसला करते |

करामत ये थी कि संदुक से फैसले की आवाज़ और फ्यूचर में होने वाली फतह की बशारत भी बनी इस्राईल को सुनाई देती |

ताबूत-ऐ-सकीना से कैसे फैज़ हासिल करते थे?
__________🤔

बनी इस्राइल इस संदूक को अपने आगे रखकर इसमें रखी पाकीज़ा चीजों को वसीला बनाकर दुआ मांगते उनकी दुआएं मकबूल हो जाती और आने वाली बलाएँ, बीमारियां और मुसीबतें टल जाया करती |

यानी नबी इस्राइल के लिए ताबुते-सकीना बरकत , रहमत का खजाना और अल्लाह की मेहरबानियों का मुक़द्दस ज़रिया था | ❤️❤️❤️

ताबुते सकीना हज़रत मूसा तक कैसे पहुंचा?

ये तो आपने पढ़ लिया ।

हजरत मूसा अलैहिस्सलाम के बाद ताबूत का क्या हुआ?

मूसा अलैहिस्सलाम के बाद बनी इस्राइल 72 फिरकों में बंट गई ।

कौम तरह–तरह के गुनाहों में मुब्तिला हो गई तब अल्लाह अज्जओजल का बनीइस्राइल पर अजाब नाजिल हुआ कि उन लोगों पर बनी अमालका नामक एक काफिर कौम ने हमला कर दिया |😢

इन काफिरों ने बनी इस्राइलों का कत्ले-आम करके यरूशलम को तहस-नहस कर डाला |उनके घर तक जमींदोज कर दिए और उनसे ताबुते सकीना छीन लिया |

उस वक़्त तक ताबूत को बनी इस्राइल एक गाड़ी पर रखकर लिए-लिए फिरते थे।

काफिर कौमे अमालका ने ताबुते सकीना की अहमियत को नहीं समझा इस मुक़द्दस ताबूत को लूटकर ले गए
उन लोगों ने अपने देश ले जाकर एक कूड़ेखाने में ताबूत को फेंक दिया | 😢

ताबुते सकीना की बे-अदबी करने पर अल्लाह अज्जओजल ने कौमे अमालका के देश में तरह-तरह की बीमारियाँ भेज दी |

वहां के लोग बवासीर से पीड़ित हो गए और जहां-देखों वहां चूहें ही चूहें नज़र आने लगे |

जिससे वहां प्लेग (ताऊन) फ़ैल गया | 👍
करीब पांच बस्तियां इस बिमारी से साफ़ हो गई |

अज़ाबों का सिलसिला देखकर कौमे अमालका के बादशाह को यकीं हो गया कि ये बला उस संदुक की बेअदबी की वजह से आयी है |

चुनांचे उन लोगों ने इस मुक़द्दस संदुक को एक बैलगाड़ी पे लादकर बनी इस्राइल की बस्ती (यरूशलम) की तरफ हांक दिया | 👍

अल्लाह अज्जओजल ने फौरन चार फरिश्तों को मुकर्रर फरमा दिया जो इस मुक़द्दस SANDUK को बनी इसराइल के नबी हजरत शमूईल अलैहिस्सलाम की खिदमत में ले आए | ❤️❤️

ये वाकिया कुरआन मजीद में तफ़सील से लिखा है।

इस तरह फिर बनी इसराईल को उनकी खोई हुई शान और नियामत दौबारा मिल गई |

ये संदुक हजरत शमुइल अलैहिस्सलाम के पास ठीक उस वक्त पहुंचा जब आप हजरत तालुत को बनी इसराइल का सरदार ( बादशाह ) बनाने के लिए बनी इस्राइल को समझा रहे थे।

लेकिन बनी इज़राइल हजरत तालुत को बादशाह मानने पर तैयार नही थे।

आख़िर उनमें यही शर्त ठहरी थी कि ताबुते सकीना अगर उन्हें मिल जाए तब हम तालुत की बादशाहत तस्लीम कर लेंगे |

चुनांचे संदूक आ गया और बनी इसराईल हजरत तालुत को बादशाह मानने पर राजी हो गई | 👑

तालुत के बादशाह बनने के बनी इस्राईल का सामना जालुत नाम के एक जालिम बादशाह से हुआ

जिसने बैतूल मुक़द्दस शहर पर कब्ज़ा कर रखा था।
बैतूल मुक़द्दस को फतेह करने के लिए जालूत को मारना जरूरी था। ❤️❤️❤️

17 बरस के एक नौजवान ने बनी इस्राइल को निजात दिलाई
यानि उन्होंने जालूत को मौत के घाट उतार दिया।

तालुत ने वादे के मुताबिक़ अपनी बेटी की शादी उस लड़के से कर दी और आधी बादशाहत भी उसे दे दी |
इस तरह ताबुते सकीना भी उस लड़के को मिला।

क्या आप जानते है

वो नेक लड़का कौन था?

जी हाँ ! वो थे बैतूल मुक़द्दस की तामीर का ख़्वाब देखने वाले हजरत दाउद अलैहिस्सलाम | 🍁

हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम ने यरूशलम पर 30 बरस हुकूमत की आपकी दिली ख्वाहिश थी कि ताबुते सकीना को महफूज़ रखने के लिए एक मुक़द्दस इमारत बनाए |

आपने उस इमारत को बनाने के लिए जगह भी पसंद फरमाई |

अल्लाह के हुकुम से उसी जगह (चट्टान) पर आपके बेटे हजरत सुलेमान अलैहिस्सलाम ने जिन्नातों की मदद से एक मस्जिद तामीर करवाई जिसका काम लगातार सात साल तक चला |

हजरत सुलेमान अलैहिस्सलाम की हुकूमत इंसानों के अलावा जिन्नों , पशु-पक्षियों और हवाओं पर भी थी
और उनकी सारी ताकत एक जादुई अंगूठी में थी |
जिसे आप हमेशा पहना करते और आपके गले में एक तावीज़ था जिस पर आने वाले नबी हजरत मोहम्मद सल्लेल्लाहो अल्लेही व सल्लम का नाम ‘एहमद ‘सल्लेल्लाहो अल्लेही व सल्लम गुदा हुआ था |👍

आपकी ये जादुई अंगूठी भी इस ताबूत में रख दी गई |

इसी मस्जिद में एक ख़ास और मुक़द्दस जगह पर ताबुते सकीना को रखा गया
जिसकी तरफ मुंह करके यहूदी इबादत करने लगे |

ये मस्जिद बाद में हैकल सुलैमानी से मक़बूल हुई |

इसके आसपास बहुत से पैगम्बर अलैहिस्सलाम की मज़ार और पैदाईशी मुकाम भी हैं |

हजरत आदम अलैहिस्सलाम से लेकर प्यारे नबी सल्लेल्लाहो अल्लेही व सल्लम तक तमाम नबियों ने यहां रसूले पाक सल्लेल्लाहो अल्लेही व सल्लम की इमामत में नमाज भी अदा की है।

ये ताबूत जिस मुकदस चट्टान पर रखा था वहां आज गुम्बदे सखरा यानी DOME OF THE ROCK है |
जिसकी तरफ मुंह करके शुरूआती 17 महीने प्यारे नबी सल्लेल्लाहो अल्लेही व सल्लम ने नमाज पढाई और यही से मेराज की |
ये हमारा क़िबला –ऐ –अव्वल है |
इसी मुक़द्दस चट्टान के नीचे बतौर निशानी मस्जिद आज भी बनी हुई है |

इसी चट्टान पर हजरत सुलेमान अलैहिस्सलाम भी इबादत किया करते थे ।

यहाँ प्यारे नबी हजरत मोहम्मद सल्लेल्लाहो अल्लेही व सल्लम ने भी नमाज़ पढ़ी । यही पर मरियम बिंते इमरान ने इबादत की जहाँ उनके लिए खाना आसमान से आता था।

इसका जिक्र भी क़ुरआन में है।

लिहाज़ा ये जगह ईसाइयों के लिए भी खास हो गई।

हजरत सुलेमान अलैहिस्सलाम के बाद उनके बेटों में यरूशलम बंट गया और नबी इस्राइल में ना-इत्तेफाकी बढ़ने लगी |

बनी इस्राइल एक अल्लाह अज्जओजल की इबादत छौड़कर हैकले सुलेमानी में पूजापाठ करने लग गए | 😢

नतीज़न दोबारा बनी इस्राईल पर अल्लाह का कहर बरपा।

ईसा से 600 बरस पहले बाबुल के बादशाह बखते-नसर ने यरुशलम और हैकले सुलैमानी को जमीन में मिला दिया |

कुछ बरस बाद हजरत उजैर अलैहिस्सलाम के बाद वापस इसकी तामीर हजरत ज़ुलकरनैन अलैहिस्सलाम ने करवाई फिर टाईटस (रोमनों) ने इसे तीसरी बार जमींदोज़ कर दिया

और हैकले सुलैमानी के खजाने और ताबुते सकीना को लुट लिया | इसके बाद से ताबुते सकीना का आज तक पता नही चला ।

अब कहाँ है? ताबुते सकीना।

फिल्हाल ताबुते सकीना ग़ायब है

या लोगों की नज़रों से ओझल है।

जब कयामत करीब होगी तब ताबुते सकीना को हजरत इमाम मेहंदी अलैहिस्सलाम ढूंढ लेंगे और इसमें रखे हजरत मुसा अलैहिस्सलाम के आसा (लाठी) और

हजरत सुलेमान अलैहिस्सलाम की अंगूठी से काफ़िर और मोमिन की पहचान करके हर मोमिन और काफिर की पेशानी पर निशान लगायेंगे |

मोमिन की पेशानी पर “हाजा मोमिन हक्का” और काफिर की पेशानी (माथे ) पर “हाज़ा काफिर” छप जाएगा |

(इरशाद उत-तालेबीन पेज नंबर 400 कयामतनामा)

अल्लाह अज्जओजल मुझे और आपको ज़िन्दगी में एक बार काबा शरीफ औqर मस्जिदे नबवी के साथ बैतूल मुक़द्दस की ज़ियारत कराएं |
जहाँ अल्लाह अज्जओजल ने बरकत रखी है |

जिसने भी इस पोस्ट को आगे फॉरवर्ड/शेअर किया समझो उसने अल्लाह के मुक़द्दस घर की मालूमात दूसरों तक पहुंचाई और सवाब का हक़दार बना.

 

Leave a Comment